पाप, अन्याय, अधर्म और निर्दयता ने, अपना पैर पसराया है। पाप, अन्याय, अधर्म और निर्दयता ने, अपना पैर पसराया है।
मैत्रेय जी कहें फिर विदुर से रूद्र के सेवकों से हारकर! मैत्रेय जी कहें फिर विदुर से रूद्र के सेवकों से हारकर!
शिव अर्पण शिव अर्पण
बसिया तू मतवारो कान्ह उरझी पैंजनि नेक सुरझाय दे। लला देखन दै सिर मोर मुकुट मोय चटक चुनरिया पहराय दै... बसिया तू मतवारो कान्ह उरझी पैंजनि नेक सुरझाय दे। लला देखन दै सिर मोर मुकुट मोय ...
The unknown story of a vigilant worrier, worshiper of lord Shiva and the king of Lanka, RAVANA The unknown story of a vigilant worrier, worshiper of lord Shiva and the king of...
और मेरे रोज़ पहनने के लिए अपने हाथों से छुए मुझे, बस इतने में तो मैं भवसागर पार हों जा और मेरे रोज़ पहनने के लिए अपने हाथों से छुए मुझे, बस इतने में तो मैं भवसागर प...